जैसे कि हम जानते हैं किसी भी व्यवसाय या कंपनी को चलाने के लिए हमें उसकी समस्याओं को जानना आवश्यक होता है जब तक हम बाहरी एवं आंतरिक समस्याओं को नहीं समझेंगे तो हमें नुक़सान का सामना करना पड़ सकता है। यहीं से पर्यावरण स्कैनिंग का सिद्धांत सामने आया जिससे हम अनेक घटक जैसे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक समस्याओं का निवारण के लिए पर्यावरण स्कैनिंग का प्रयोग में लाया जाने लगा इससे भविष्य में होने वाली समस्याओं को पूर्व अनुमान लगाकर समस्याओं को कम करने या फिर क्षति को कम किया जा सकता है जिससे आर्थिक स्थिति कंपनी की अच्छी बनी रहे और उसे क्षति का सामना ना करना पड़े। दूसरे अर्थ में भविष्य में होने वाली समस्याओं को पहले से ही अनुमान लगाकर एवं समस्याओं को कैसे दूर किया जाए उसका एक नियोजन बनाना ही पर्यावरण स्कैनिंग हैं।

पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरण की जांच का अर्थ ( Meaning of Environment Scanning)
पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरण की जांच वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा फर्म कंपनी के प्रबंधक या संचालक आर्थिक परिवर्तनों , सरकारी नीतियों में परिवर्तन , विक्रेता के दृष्टिकोण और बाजार में होने वाले परिवर्तनों पर नजर रखकर नये अवसरों , विकल्पों और जोखिमों के बारे में निर्णय लेता है। बहुत ही आसान शब्दों में वातावरणीय विश्लेषण का सम्बंध वातावरणीय प्रभावों का समाज और व्यवसाय पर भविष्य में पड़ने वाले प्रभावों से है। वातावरणीय जांच और विश्लेषण वर्तमान युक्ति का मूल्यांकन करने और भविष्य के सम्बंधित युक्तिगत निर्णय लेने के लिए नये नियम बनाने में सहायक होती है।
प्रत्येक व्यवसाय में होने वाली कमाई आर्थिक परिवर्तनों के अलावा गैर-आर्थिक परिवर्तनों पर निर्भर करती है।गैर-आर्थिक अथवा आर्थिकेतर परिवर्तन में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन , व्यवसायिक युक्ति और आयोजन व्यवसाय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। यदि कोई कंपनी अथवा फर्म देश में होने वाली आर्थिक , सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों पर नजर नहीं रखती तब इसके व्यवसाय के प्रतिकूल रूप से प्रभावित होने की पूरी संभावना बनी रहती है। हम यहां पर वस्त्र उद्योग का उदाहरण ले सकते हैं। वस्त्र उद्योग में रिलायंस के अलावा अन्य किसी कंपनी के उल्लेखनीय उन्नति नहीं की है और ना ही अधिक लाभ अर्जित किये है। इसका कारण यह है कि रिलायंस ने बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखकर नयी युक्तियों का निर्माण किया है। इस युक्तियों के आधार पर बाजार की जरूरतों के अनुसार उत्पादन में आवश्यक परिवर्तन किये गये। दूसरी तरफ अन्य वस्त्र मिलों की प्रबंधकीय विचारधाराएं ,प्रक्रियाएं , क्रियाकलाप उत्पादन और तकनीकी वातावरण में होने वाले परिवर्तन के अनुसार परिवर्तित नहीं हुई जिसके कारण यह कपड़ा मिल बीमार बन गई और इनकी लाभ प्रदत्ता भी कम हो गई। अतः प्रबंधक को नए उत्पादन के कारण पैदा हुए नए अवसर के अनुसार बदलाव लाना चाहिए जिससे वह अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें तथा अधिक लाभ कमा सकें।
पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरणीय जांच की आवश्यकता (Need for Environmental Scanning)
ज्यादातर व्यवसायिक प्रबधकों को यह अधिक लाभ कमाने और व्यवसाय बढ़ाने में मदद करती है तथा इसके साथ-साथ भविष्य में होने वाले जोखिम को कम करने में मददगार बनाती है। किसी संगठन का भविष्य उस वातावरण में संबंधित होता है जिस वातावरण में यह संगठन व्यवसाय करता है। तेजी से बदलते व्यवसाय का निकट से अध्ययन करने के लिए यह जानना आवश्यक है कि कंपनी को होने वाले संभावित खतरे क्या है ? भविस्य में होने वाले कुछ घटनाओं के बारे में वातावरणीय जांच की सहायता से पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और वातावरणीय प्रभावों की समीक्षा भी की जा सकती है। वातावरणीय जांच के अंतर्गत सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक तकनीकी और उत्पाद और बदलती बाजार दशाओं में प्राप्त जानकारी और प्रक्रिया को सम्मिलित किया जाता है।
वातावरणीय जांच से संबंधित किए गये अनुसंधान कार्य से यह ज्ञात होता है कि फर्म और कंपनियों की सफलता और वातावरण विश्लेषण में बहुत ही गहरा संबंध पाया जाता है। वातावरण की जांच किए वह क्षेत्र जिन पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है , इस प्रकार है :-
- विलय के कारण फमॉ का विस्तार हो रहा है और इस कारण वातावरण की जटिलता बढ़ रही है।
- फर्मो की प्रतियोगिता , सरकारी नियमन और स्वास्थ्य वातावरण का सामना करना पड़ता है।
- वह फर्म जिनको वातावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ता पड़ रहा है , उसके सामने जोखिम और अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है।
- कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि कुछ कंपनियों ने वातावरण मूल्यांकन की और बहुत कम अथवा बिल्कुल भी ध्यान ना दिये जाने के बावजूद सफलता पाई , ऐसी कुछ कंपनियां , इस प्रकार है :-
- ऐसी फर्मे जिन पर वातावरण में होने वाले परिवर्तन का प्रभाव कम पड़ता है तथा प्रबंध को जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- ऐसी फर्मे जिनमें नए उत्पादन की खोज करने की इच्छा है।
- ऐसी बड़ी फर्मे जिनके प्रबध को कम जोखिम का सामना करना पड़ता है।
पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरणीय विश्लेषण की विशेषताएं (Features of Environmental Analysis)
बदलते वातावरण में वातावरण विश्लेषण प्रक्रिया की तुलना काफी कुछ रडार के कार्यॉ से की जा सकती है। यदि किसी नाव को अनिश्चितता के समुंदर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना है सब इसकी सफलता के लिए दो दशाओ का होना आवश्यक है। प्रथम नाव के दिशा ज्ञान के लिए तारे का होना आवश्यक है , दुसरे समुंदर के चट्टाने आदि के बारे में संकेत देने के लिए रडार का होना भी आवश्यक है। अतः अनिश्चित वातावरण में कार्य करने वाली व्यवसायिक फर्म के पास स्पष्ट सोच ( दिशा ज्ञान रूपी तारा ) और वातावरणीय विश्लेष्ण की एक व्यवस्था विश्लेष्ण की प्रक्रिय की निम्न विशेषताओं के बारे में जान सकते है :-
- व्यावसायिक विश्लेषण की प्रक्रिया सतत रूप से बनी रहनी चाहिए। उसी प्रकार जिस प्रकार रडार लगातार चौकसी में कार्यरत रहता है।
- व्यावसायिक विश्लेषण के अंतर्गत वातावरण के बारे में संपूर्ण जानकारी का ज्ञान होता है , उसके किसी एक हिस्से के बारे में नहीं। उदाहरण के लिए रडार 360 डिग्री पर घूमकर अपने दायरे में आने वाले प्रत्येक इलाके के बारे में जानकारी देता है केवल एक भाग के बारे में नहीं। परंतु आवश्यकता पड़ने पर इसे किसी एक भाग के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए भी केंद्रित किया जा सकता है।
एक संगठन के प्रबंध को वातावरण के किसी पक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ? विचारको का मानना है कि वह कारण जो भविष्य में होने वाली घटनाओं को प्रभावित करता है उन कारकों का वातावरण विश्लेषण के अंतर्गत अध्ययन किया जाना अति आवश्यक है। प्रमुख वातावरणीय कारक एवं आर्थिक ,राजनीतिक ,सामाजिक , कानूनी नियामक और तकनीकी कारक है जिनकी जानकारी की आवश्यकता सामान्यतया एक उद्यम को रहती है। इसके अलावा प्रत्येक उद्यम इस उपयोगी वातावरण का उपयोग अपने हितों और उपस्थिति के अनुसार करता है।
पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरण प्रक्रिया की जांच (Process Environmental Scanning )
वातावरण जांच की प्रक्रिया कोई मुश्किल पद या नहीं है लेकिन यह इतनी आसान भी नहीं है कि किस क्षेत्र को जांच में शामिल किया जाए और किसे छोड़ा जाए। वातावरण जांच के लिए सूचनाओं की आवश्यकता पड़ती है। जिन्हें निम्नलिखित स्रोत से प्राप्त किया जा सकता है :-
औद्योगिक सूचना (Industrial Information):-
वास्तविक और संभावित प्रतियोगीयों के बारे में औद्योगिक जासूसी द्वारा सूचना प्राप्त की जा सकती है। यह सूचना प्रतियोगियों के कर्मचारियों , पूर्तिग्राहकओं व ग्राहकों से संबंध बढ़ाकर प्राप्त की जा सकती है। सर्वेक्षण , आंकड़ों और व्यापारिक खुफिया संरक्षण व्यवस्था पर किए जाने वाले खर्चे के आधार पर यह कहा जा सकता है अमेरिका में अधिक औद्योगिक जासूसी और तोड़-फोड़ की कार्यवाही बढ़ती जा रही है। भारत में इस संदर्भ में बहुत ही कम प्रमाण देखने को मिलते हैं।
मौखिक सूचना (verbal information) :-
मौखिक सूचना वातावरणीय जांच के लिए एक कंपनी विभिन्न स्रोत जैसे रेडियो ,टेलीविजन, कर्मचारियों प्रबंधक , सुपरवाइजरों आदि कंपनी के उत्पाद के ग्राहक व वितरकों (थोक ,फुटकर ,विक्रेता, डीलर), पूर्ति करता , प्रतियोगी उनके कर्मचारियों बैंक के अधिकारियों ,शेयर दलालों ,सलाहकार और सरकारी कर्मचारियों के से बातचीत के द्वारा प्राप्त करती है।
लिखित सूचना (Written Information ):-
एक कंपनी समाचार पत्रों, व्यापार पत्रिकाओं व जर्नल , उद्योग समाचार पत्रिका , रिपोर्ट व अन्य दस्तावेजों से लिखित सूचना प्राप्त करती है।
प्रबंध सूचना (management information ):-
प्रबंधकीय पद्धति से प्राप्त जानकारी का उपयोग युक्तिपूर्ण योजना बनाने मैं किया जाता है। आर्थिक , सामाजिक और वित्तीय दशाओं में होने वाले परिवर्तनों के आधार पर सरकारी एजेंसियों और सलाह देने वाले विशिष्ट सेवा संगठन समय-समय पर पूर्वानुमान और रिपोर्ट जारी करती है।