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पर्यावरण स्कैनिंग का अर्थ, आवश्यकता , प्रक्रिया एवं विशेषताएं

June 23, 2021 by Admin

जैसे कि हम जानते हैं किसी भी व्यवसाय या कंपनी को चलाने के लिए हमें उसकी समस्याओं को जानना आवश्यक होता है जब तक हम बाहरी एवं आंतरिक समस्याओं को नहीं समझेंगे तो हमें नुक़सान का सामना करना पड़ सकता है। यहीं से पर्यावरण स्कैनिंग का सिद्धांत सामने आया जिससे हम अनेक घटक जैसे राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, प्राकृतिक समस्याओं का निवारण के लिए पर्यावरण स्कैनिंग का प्रयोग में लाया जाने लगा इससे भविष्य में होने वाली समस्याओं को पूर्व अनुमान लगाकर समस्याओं को कम करने या फिर क्षति को कम किया जा सकता है जिससे आर्थिक स्थिति कंपनी की अच्छी बनी रहे और उसे क्षति का सामना ना करना पड़े। दूसरे अर्थ में भविष्य में होने वाली समस्याओं को पहले से ही अनुमान लगाकर एवं समस्याओं को कैसे दूर किया जाए उसका एक नियोजन बनाना ही पर्यावरण स्कैनिंग हैं।

पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरण की जांच का अर्थ ( Meaning of Environment Scanning)

पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरण की जांच वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा फर्म कंपनी के प्रबंधक या संचालक आर्थिक परिवर्तनों , सरकारी नीतियों में परिवर्तन , विक्रेता के दृष्टिकोण और बाजार में होने वाले परिवर्तनों  पर नजर रखकर नये अवसरों , विकल्पों  और जोखिमों के बारे में निर्णय लेता है। बहुत ही आसान शब्दों में वातावरणीय विश्लेषण का सम्बंध वातावरणीय प्रभावों का समाज और व्यवसाय पर भविष्य में पड़ने वाले प्रभावों से है। वातावरणीय जांच और विश्लेषण वर्तमान युक्ति का मूल्यांकन करने और भविष्य के सम्बंधित युक्तिगत निर्णय लेने के लिए नये नियम बनाने में सहायक होती है।

प्रत्येक व्यवसाय में होने वाली कमाई आर्थिक परिवर्तनों के अलावा गैर-आर्थिक परिवर्तनों पर निर्भर करती है।गैर-आर्थिक अथवा आर्थिकेतर  परिवर्तन में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन , व्यवसायिक युक्ति और आयोजन व्यवसाय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करती है। यदि कोई कंपनी अथवा फर्म देश में होने वाली आर्थिक , सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों पर नजर नहीं रखती तब इसके व्यवसाय के प्रतिकूल रूप से प्रभावित होने की पूरी संभावना बनी रहती है। हम यहां पर वस्त्र उद्योग का उदाहरण ले सकते हैं। वस्त्र उद्योग में रिलायंस के अलावा अन्य किसी कंपनी के उल्लेखनीय उन्नति नहीं की है और ना ही अधिक लाभ अर्जित किये है। इसका कारण यह है कि रिलायंस ने बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखकर नयी युक्तियों का निर्माण किया है। इस युक्तियों के आधार पर बाजार की जरूरतों के अनुसार उत्पादन में आवश्यक परिवर्तन किये गये। दूसरी तरफ अन्य वस्त्र मिलों की प्रबंधकीय विचारधाराएं  ,प्रक्रियाएं , क्रियाकलाप उत्पादन और तकनीकी वातावरण में होने वाले परिवर्तन के अनुसार परिवर्तित नहीं हुई जिसके कारण यह कपड़ा मिल बीमार  बन गई और इनकी लाभ प्रदत्ता भी कम हो गई।  अतः प्रबंधक को नए उत्पादन के कारण पैदा हुए नए अवसर के अनुसार बदलाव लाना चाहिए जिससे वह अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें तथा अधिक लाभ कमा सकें।

पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरणीय जांच की आवश्यकता (Need for Environmental Scanning)

ज्यादातर व्यवसायिक प्रबधकों  को यह अधिक लाभ कमाने और व्यवसाय बढ़ाने में मदद करती है तथा इसके साथ-साथ भविष्य में होने वाले जोखिम को कम करने में मददगार बनाती है।  किसी संगठन का भविष्य उस वातावरण में संबंधित होता है जिस वातावरण में यह संगठन  व्यवसाय करता है।  तेजी से बदलते व्यवसाय का निकट से अध्ययन करने के लिए यह जानना आवश्यक है कि कंपनी को होने वाले संभावित खतरे क्या है ? भविस्य में होने वाले कुछ घटनाओं के बारे में वातावरणीय   जांच की सहायता से पूर्वानुमान लगाया जा सकता है और वातावरणीय प्रभावों की समीक्षा भी की जा सकती है। वातावरणीय जांच के अंतर्गत सामाजिक , आर्थिक , राजनीतिक तकनीकी और उत्पाद और बदलती बाजार दशाओं में प्राप्त जानकारी और प्रक्रिया को सम्मिलित किया जाता है।

वातावरणीय जांच से संबंधित किए गये अनुसंधान कार्य से यह ज्ञात होता है कि फर्म  और कंपनियों की सफलता और वातावरण विश्लेषण में बहुत ही गहरा संबंध पाया जाता है। वातावरण की जांच किए वह क्षेत्र जिन पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है , इस प्रकार है :-

  • विलय के कारण फमॉ का विस्तार हो रहा है और इस कारण वातावरण की जटिलता बढ़ रही है।
  • फर्मो की प्रतियोगिता , सरकारी नियमन और स्वास्थ्य वातावरण का सामना करना पड़ता है।
  • वह फर्म जिनको वातावरणीय समस्याओं का सामना करना पड़ता पड़ रहा है , उसके सामने जोखिम और अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है।
  • कुछ अध्ययनों  से पता चलता है कि कुछ कंपनियों ने वातावरण मूल्यांकन की और बहुत कम अथवा बिल्कुल भी ध्यान ना दिये  जाने के बावजूद सफलता पाई , ऐसी कुछ कंपनियां , इस प्रकार है :-
    • ऐसी फर्मे जिन पर वातावरण में होने वाले परिवर्तन का प्रभाव कम पड़ता है तथा प्रबंध को जोखिम का सामना करना पड़ता है।
    • ऐसी फर्मे  जिनमें नए उत्पादन की खोज करने की इच्छा है।
    • ऐसी बड़ी फर्मे जिनके प्रबध को कम जोखिम का सामना करना पड़ता है।

पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरणीय विश्लेषण की विशेषताएं (Features of Environmental Analysis)

बदलते वातावरण में वातावरण विश्लेषण प्रक्रिया की तुलना काफी कुछ रडार के कार्यॉ  से की जा सकती है। यदि किसी नाव को अनिश्चितता के समुंदर में एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाना है सब इसकी सफलता के लिए  दो दशाओ का होना आवश्यक है। प्रथम नाव के दिशा ज्ञान के लिए तारे का होना आवश्यक है , दुसरे  समुंदर के चट्टाने आदि के बारे में संकेत देने के लिए रडार का होना भी आवश्यक है।  अतः अनिश्चित  वातावरण में कार्य करने वाली व्यवसायिक फर्म के पास स्पष्ट सोच ( दिशा ज्ञान रूपी तारा  ) और वातावरणीय विश्लेष्ण की एक व्यवस्था विश्लेष्ण की प्रक्रिय की निम्न विशेषताओं के बारे में जान सकते है :-

  • व्यावसायिक विश्लेषण की प्रक्रिया सतत रूप से बनी रहनी चाहिए। उसी प्रकार जिस प्रकार रडार  लगातार  चौकसी  में कार्यरत रहता है।
  • व्यावसायिक विश्लेषण के अंतर्गत वातावरण के बारे में संपूर्ण जानकारी का ज्ञान होता है , उसके किसी एक हिस्से के बारे में नहीं। उदाहरण के लिए रडार  360 डिग्री पर घूमकर अपने दायरे में आने वाले प्रत्येक इलाके के बारे में जानकारी देता है केवल एक भाग के बारे में नहीं। परंतु आवश्यकता पड़ने पर इसे किसी  एक भाग के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए भी केंद्रित किया जा सकता है।

एक संगठन के प्रबंध को वातावरण  के किसी पक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए ?  विचारको  का मानना है कि वह कारण जो भविष्य में होने वाली घटनाओं को प्रभावित करता है उन कारकों  का वातावरण विश्लेषण के अंतर्गत अध्ययन किया जाना अति आवश्यक है।  प्रमुख वातावरणीय कारक एवं आर्थिक ,राजनीतिक ,सामाजिक , कानूनी नियामक और तकनीकी कारक  है जिनकी जानकारी की आवश्यकता सामान्यतया  एक उद्यम को रहती है।  इसके अलावा प्रत्येक उद्यम इस उपयोगी वातावरण का उपयोग अपने हितों और उपस्थिति के अनुसार करता है।

पर्यावरण स्कैनिंग या वातावरण प्रक्रिया की जांच (Process Environmental Scanning )

वातावरण जांच की प्रक्रिया कोई मुश्किल पद या नहीं है लेकिन यह इतनी आसान भी नहीं है कि किस क्षेत्र को जांच में शामिल किया जाए और  किसे छोड़ा जाए।  वातावरण जांच के लिए सूचनाओं की आवश्यकता पड़ती है।  जिन्हें निम्नलिखित स्रोत से प्राप्त किया जा सकता है :-

औद्योगिक सूचना (Industrial Information):-

वास्तविक और संभावित प्रतियोगीयों के बारे में औद्योगिक जासूसी द्वारा सूचना प्राप्त की जा सकती है। यह सूचना प्रतियोगियों के कर्मचारियों , पूर्तिग्राहकओं  व  ग्राहकों से संबंध बढ़ाकर प्राप्त की जा सकती है। सर्वेक्षण , आंकड़ों और व्यापारिक खुफिया संरक्षण व्यवस्था पर किए जाने वाले खर्चे के आधार पर यह कहा जा सकता है अमेरिका में अधिक औद्योगिक जासूसी और तोड़-फोड़ की कार्यवाही बढ़ती जा रही है। भारत में इस संदर्भ में बहुत ही कम प्रमाण देखने को मिलते हैं।

मौखिक सूचना (verbal information) :-

मौखिक सूचना वातावरणीय जांच के लिए एक कंपनी विभिन्न स्रोत जैसे रेडियो ,टेलीविजन, कर्मचारियों प्रबंधक , सुपरवाइजरों आदि कंपनी के उत्पाद के ग्राहक व  वितरकों  (थोक ,फुटकर ,विक्रेता, डीलर), पूर्ति करता , प्रतियोगी उनके कर्मचारियों बैंक के अधिकारियों ,शेयर दलालों ,सलाहकार और सरकारी कर्मचारियों के से बातचीत के द्वारा प्राप्त करती है।

लिखित सूचना (Written Information ):-

एक कंपनी समाचार पत्रों, व्यापार पत्रिकाओं व जर्नल , उद्योग समाचार पत्रिका , रिपोर्ट व अन्य दस्तावेजों से लिखित सूचना प्राप्त करती है।

प्रबंध सूचना (management information ):-

प्रबंधकीय पद्धति से प्राप्त जानकारी का उपयोग युक्तिपूर्ण योजना बनाने मैं किया जाता है।  आर्थिक , सामाजिक और वित्तीय दशाओं में होने वाले परिवर्तनों के आधार पर सरकारी एजेंसियों और सलाह देने वाले विशिष्ट सेवा संगठन समय-समय पर पूर्वानुमान और रिपोर्ट जारी करती है।

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प्रजातंत्र का अर्थ , प्रकार एवं विशेषताएं

June 18, 2021 by Admin

प्राचीन काल से ही मानव जाति में एक शासन व्यवस्थाएं रही है जिसमें विभिन्न प्रकार की शासन अपनाया गया था पर मानव जाति के विभिन्न प्रकार की शासन व्यवस्थाओं में से प्रमुख प्रजातंत्र विश्व की सबसे अच्छी शासन प्रणाली मानी जाती है, जिससे मानव जाति के राजनीतिक विकास का महत्वपूर्ण योगदान रहा है । अब सवाल यह है कि प्रजातंत्र क्या है यह एक ऐसी शासन व्यवस्था से है जिसमें किसी राज्य की जनता के द्वारा चुने गए एक व्यक्ति जो उस राज्य को संचालन करता है। इसका प्रमुख उद्देश्य राज्य की संपूर्ण शक्ति का स्वामी कोई व्यक्ति समूह या वंश नहीं होकर केवल राज्य का जनता से है।अतः जनता की सहभागिता प्रजातंत्र का मूल आधार है  ।

प्रजातंत्र के शुरुआती समय में सीमित जनसंख्या एवं क्षेत्रफल वाले राज्य में शासन नियंत्रण के लिए राज्य के लोग स्वयं ही संचालन संबंधी निर्णय लेने के लिए सह-भागी होता था , इसके कारण सीमित क्षेत्रफल एवं छोटे राज्यों में प्रजातंत्र का व्यवहार होने लगा। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र की शुरुआत यूनान के नगर राज्यों से आरंभिक हुआ था । वर्तमान समय में राज्य उनके विस्तार एवं जनसंख्या की दृष्टि से बड़े होने के कारण जनता के द्वारा प्रत्यक्ष शासन संभव नही था । परिणामस्वरूप ,अप्रत्यक्ष रूप से जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है और इसके माध्यम से शासन व्यवस्था एवं उनकी शक्ति का उपयोग करती है। वर्तमान में प्रजातंत्र को अप्रत्यक्ष रूप से , प्रजातंत्र की जन प्रतिनिधियों के नेतृत्व के द्वारा संचालित होता है

आज हम प्रजातंत्र के बारे में जानेंगे  :- प्रजातंत्र की अर्थ ,परिभाषा , प्रकार एवं विशेषताएं।

प्रजातंत्र का अर्थ (Meaning of Democracy)

प्रजातंत्र का अर्थ शासन की ऐसी प्रणाली से है जिसमें जनहित सर्वोपरि हो , इसमें ‟ लोकतंत्र सरकार ” जनता की भलाई को प्राथमिकता दें । प्रजातंत्र केवल एक शासन प्रणाली तक ही सीमित नहीं है यह समाज और राज्य का स्वरूप भी है । अतः यह तीन प्रकार के मिश्रण से बना है समाज , राज्य एवं शासन। प्रजातंत्र को हम तीनों का मिश्रण भी कह सकते हैं ।

  • लोकतंत्र समाज के रूप में एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जिसमें विचारों में समानताएं एवं प्रबल व्यवहार हो ।
  • लोकतंत्र राज्य के रूप में जनता का शासन करने  , प्रतिनिधियों को नियंत्रण करना एवं उसे हटाने की क्षमता से है ।

प्रजातंत्र  में  विकास के समान अवसर सभी को प्राप्त हो तथा व्यक्तित्व की गरिमा का समान मूल्य हो । यह आधारित है स्वतंत्रता सामंजस्य एवं समरसता के पूर्वधारणा पर। प्रजातंत्र दो शब्दों से मिलकर बना है   ‟ प्रजा और तंत्र ” प्रजा का आशय जनता से और तंत्र का मतलब शक्ति से है ,इस तरह जनता की शक्ति प्रजातंत्र है । प्रजातंत्र का अंग्रेजी भाषा Democracy  है जो यूनानी के शब्दों से बना है ‟ Demos (जनता) + Cratil (तंत्र) ”।

प्रजातंत्र का अभिप्राय एक ऐसी प्रणाली से है जिसमें जनता के पास ‟ शासन की शक्ति ” एवं ‟ शासन का संचालन ” जनता स्वयं करती है। प्रत्यक्ष रुप से शासन का संचालन स्वयं जनता कर सकती हैं या अप्रत्यक्ष रूप में अपनी प्रतिनिधियो को चुनकर उस के माध्यम से करती है इसे प्रजातंत्र या जनतंत्र कहा जाता है।

प्रजातंत्र की परिभाषा (Definition of Democracy)

प्रजातंत्र शासन का एक रूप है जिसमें जनता शासकों का चुनाव करती है।  इस परिभाषा के अनुसार शासक कौन है ?  शासक जनता द्वारा चुने गए एक प्रतिनिधि है । उदाहरणों के जरिए हमने शासन के एक तरीके के रूप में लोकतंत्र की चार विशेषताओं को रेखांकित किया है। इसके अनुसार लोकतंत्र शासन का एक ऐसा रूप है जिसमें :-

  • लोगों द्वारा चुने गए शासक ही सारे प्रमुख फैसले करते हैं ;
  • चुनाव लोगों के लिए निष्पक्ष अवसर और इतने विकल्प उपलब्ध कराता है कि वे चाहे तो मौजूदा शासकों को बदल सकते  है ;
  • यह विकल्प और अवसर सभी लोगों को समान रूप से उपलब्ध हो ;
  • इस चुनाव से बनी सरकार संविधान द्वारा तय बुनियादी कानून और नागरिक अधिकारों के दायरे को मानते हुए काम करती है।

भारत में लोकतंत्र की स्थापना 26 जनवरी 1950 मैं हुआ था और किसका जनक है डॉक्टर भीमराव अंबेडकर है ।

विभिन्न विद्वानों ने प्रजातंत्र की परिभाषा इस प्रकार दी है:-

  • अरस्तू ने प्रजातंत्र को बहुतों का शासन कहा है ।
  • अब्राहम लिंकन ने प्रजातंत्र को ” जनता का , जनता द्वारा और जनता के लिए शासन” कहा है ।
  • डायरी के अनुसार प्रजातंत्र शासक समुदाय संपूर्ण राष्ट्र का अपेक्षाकृत बड़ा भाग हो ।

प्रजातंत्र के प्रकार (Types of Democracy)

साधारण: प्रजातंत्र दो प्रकार का होता है प्रत्यक्ष प्रजातंत्र और अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र या प्रतिनिधि मूलक प्रजातंत्र।

प्रत्यक्ष प्रजातंत्र ( Direct Democracy) :-

जब किसी सार्वजनिक विषयों पर राज्य के निवासी प्रत्यक्ष रूप से विचार विमर्श स्वयं करती है तथा नीतियों का निर्धारण एवं विधि निर्माण प्रत्यक्ष रूप से करती है तो ऐसी शासन को प्रत्यक्ष प्रजातंत्र कहते हैं। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र छोटे आकार एवं अल्प जनसंख्या वाले स्थानों में उपयोगी होता है। यह पद्धति केवल वही व्यवहारिक है जहां लोगों की सीमित संख्या है उदाहरण :- आदिवासी परिषद या एक सामुदायिक संगठन या फिर किसी श्रमिक संघ की स्थानीय इकाई , जहां सभी सदस्य एक वर्ग में एकत्र होकर विभिन्न मुद्दों परिचर्चा कर सकें या बहुमत से निर्णय ले सके। इसका प्रचलन अधिकतर भारत के पंचायत के ग्राम सभाओं में होता है

अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र ( Indirect Democracy ):-

जब किसी प्रतिनिधियों को चुनकर जनता उन के माध्यम से शासन के कार्यों एवं प्रतिनिधि के द्वारा विधि निर्माण किया जाता है तो उसे अप्रत्यक्ष प्रजातंत्र कहते हैं । वर्तमान में विशाल एवं जटिल समाज में प्रत्यक्ष लोकतंत्र की संभावनाएं बहुत कम हो चुकी है अभी सभी स्थानों पर सामान्यत: प्रत्यक्ष प्रजातंत्र ही होता है चाहे वह 10000 की जनसंख्या वाले एक शहर हो या फिर 5 करोड़ वाले कोई राष्ट्र। इसमें सार्वजनिक हित के लिए कानून बनाने , कार्यक्रमों को लागू करने एवं राजनीतिक निर्णय लेने के लिए नागरिक अधिकारियों को चुनते हैं।

प्रजातंत्र की विशेषताएं (Features of Democracy )

प्रजातंत्र (Democracy) एक राजनीतिक प्रणाली है जिसमें राज्य का सत्ताधिकार जनता के हाथ में होता है और लोगों के चयन द्वारा सरकार का नेतृत्व होता है। प्रजातंत्र की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  1. चुनावी प्रक्रिया: प्रजातंत्र में चुनावों का आयोजन किया जाता है, जिसमें नागरिक अपने पसंदीदा प्रतिनिधि चुनते हैं। चुनावों के माध्यम से लोग सरकार को चुनते हैं और नयी सरकार का नेतृत्व होता है।
  2. जनाधिकार: प्रजातंत्र में जनता को विभिन्न अधिकार और स्वतंत्रता मिलती है, जैसे कि भाषण, धर्म, और विचार की स्वतंत्रता।
  3. विभाजन और संतुलन: प्रजातंत्र में सरकार की शक्ति विभिन्न संसदीय, संविधानीय, और सीमांत संरचनाओं में विभाजित होती है, जो संतुलन और संरक्षण प्रदान करते हैं।
  4. सामान्यत: प्रजातंत्र में सभी नागरिकों के सामान्यता और समान अधिकार होते हैं, जिसका मतलब है कि कोई व्यक्ति या समूह सरकार के सामने बराबर होता है।
  5. सरकार की खातिमा: प्रजातंत्र में सरकार का समय सीमित होता है और चुनावों के माध्यम से नई सरकार बनती है, जिससे सरकार की जानकारी, जवाबदेही, और खातिमा बनी रहती है।
  6. मीडिया की स्वतंत्रता: प्रजातंत्र में मीडिया की स्वतंत्रता होती है, जिससे लोगों को सरकारी निर्णयों की जानकारी मिलती है और वे स्वतंत्र रूप से अपनी राय और विचार व्यक्त कर सकते हैं।
  7. क़ानूनी बनावट: प्रजातंत्र में क़ानूनी प्रक्रिया और संविधान का पालन किया जाता है, जिससे सरकार की संविधानिकता और विधिकता बनी रहती है।
  8. न्यायिक निर्णय: प्रजातंत्र में न्यायिक प्रक्रिया द्वारा न्याय दिलाने की स्वतंत्रता होती है, जिससे न्यायिक निर्णय सरकारी प्रशासन से अलग होते हैं।

प्रजातंत्र के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के प्रणालियाँ हो सकती हैं, जैसे कि पार्लियामेंटरी प्रजातंत्र, संघीय प्रजातंत्र, और प्रतिनिधि प्रजातंत्र, जो देश के संरचना और संविधान के आधार पर विभिन्न हो सकते हैं। इन विशेषताओं के साथ, प्रजातंत्र एक जनता की साझा इच्छा और प्रतिभूति के रूप में लोगों की सशक्तिकरण का माध्यम भी हो सकता है।

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